NAZARIYA

                                      नज़रिया   

               मेरी माँ मुझे कभी-कभी अपने साथ मंदिर ले जाया करती है, मैंने देखा की मंदिर के बाहर की हर सीढ़ी पर गरीब भीख़ माँगता है, किसी के कपड़े फटे हुए है, किसी के बाल बिखरे हुए है, किसी के पाँव नहीं तो किसी के हाथ नहीं, दिखने में भी सब एकदम गंदे दीखते है, देखने से लगता है, कि कई महीनो से नहाए भी नहीं होंगे, मेरी मम्मी उन सब की झोली में हर बार एक  रूपया डालती है, वे सब मेरी मम्मी को दुवाएँ भी देते है, बाद में बारी आती है भगवानजी की,

           जिस मंदिर में मम्मी मुझे ले जाया करती है, उस मंदिर में एक नहीं बहुत सारे भगवानजी है, और मेरी मम्मी सारे भगवानजी के लिए हर बार कुछ ना कुछ ज़रूर लाती है जैसे की, कान्हाजी के लिए मख्खन, मोरपंख, कपडे और गेहने जो शायद कान्हा जी को बहुत पसंद है, शिवजी के लिए दूध, गणेशजी के लिए लड्डू, माताजी के लिए चुंदड़ी, फल, फूल, नारियल, सुहागन का सारा सामान, और भी बहुत कुछ, मानो आज के आज ही सब भगवानजी  को खुश कर देना है, 

         मेरे मन में हर बार यह सवाल आता, सोचा आज तो मम्मी से पूछ ही लेता हूँ, कि क्या भगवानजी के पास ये सारी चीज़े नहीं है, जो तुम हर बार इनके लिए लेकर आती हो ? या फिर भगवानजी तुम से ये सारी चीज़े मंँगवाते है ? 

         मम्मीने कहा, ऐसा क्यों पूछा भला ? भगवानजी तो ऊपर मेहेलो में रहते है, उनके पास तो सब कुछ होता है, और हम से खुश होकर वही तो हमे सब कुछ देते है। इसलिए ऐसा नहीं सोचते बेटा। 

          तो मम्मी अगर आप बुरा ना माने तो एक बात पुछू  ? आप ये सब फल, मिठाई, कपडे, गहने, पैसे, दूध, माखन, चूड़ी, बिंदी, उन मंदिर की सीढ़ी पे बैठे उन गरीब को क्यों नहीं देती ? जिनके पास  इन सब में से कुछ भी नहीं है और इन्हें इन सब की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है, ये सब भी तो तुम को दुवा देते है ना ! तो इन सब को सिर्फ एक रुपया  ही क्यों ? 

           थोड़ी देर सोचने के बाद मम्मी  को ये बात सही लगी। १२ साल के अपने छोटे मुन्ने की ऐसी समझदारी भरी बात सुनकर मम्मी का दिल गदगद हो गया, मम्मी  के पास उसका कोई जवाब नहीं था, 

            इसलिए अब से जब भी मम्मी मंदिर आती तब सिर्फ भगवानजी के लिए ही नहीं, बल्कि उन सब गरीब के लिए भी फल, मिठाई और कपडे लाती है, जो वो भगवानजी के लिए लाया करती थी, मंदिर की सीढ़ी चढ़ते वक़्त पहले मम्मी उन सीढ़ी पे बैठे गरीब को देती, बाद में अपने भगवान् जी को चढ़ाती है, 

            तो दोस्तों, आखिर हर इंसान में भगवान ही तो बसता है ना, अगर हम हर इंसान में  भगवानजी को देखने लगे तो शायद दुनिया में कोई गरीब भूखा  नहीं रहेगा। मंदिर में जो चढ़ावा आप भगवानजी को देते हो, वही अगर आप कुछ गरीब को भी देदो, तो भी उनकी दुवा से आप के घर की खुशियाँ बनी रहेगी, इसे चाहे भगवान् का आशीर्वाद ही समज लो, अगर हर इंसान ऐसा सोचने लगे तो दुनिया में से गरीबी कुछ तो कम होगी। 

                                                                                                                                                   Bela... 

         

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