SHUKRIYA

                                शुक्रिया 

       आशुतोष ने आज ऑफिस जाते जाते अपनी बीवी जस्मिना को कहा, कि कुछ दिन बाद हमारी शादी की २५ वी सालगिरह है, तो इस २५ साल में हम दोनों को एक दूसरे से कोई शिकायत रही हो या तो हमने एकदूसरे के लिए जो भी महसूस किया हो, कि जैसे तुझे मुझ में क्या पसंद है और क्या नापसंद और मुझे तुज में। इस के बारे में क्यों ना एक बार सोचे ? ताकि हमें पता चले की हमें हमारे में अभी भी क्या बदलाव लाने की ज़रूरत है। वो हम एकदूसरे को बताएँगे या तो एक चिठ्ठी में लिख देंगे। फिर  हमारी शादी की सालगिरह पर इसके बारे में बात करेंगे। जस्मिना  को भी ये बात पसंद आई, तो उसने भी हाँ कहाँ और आशुतोष ऑफिस के लिए चल जाता है। 
          कुछ दिन बाद उन दोनों की शादी की सालगिरह आ गई, दोनों ने जैसा तय किया था, उस तरह दोनों ने एक चिठ्ठी लिखी थी, और एकदूसरे को देदी। पहले आशुतोष जस्मिना की चिठ्ठी पढ़ने लगा, उसमे लिखा था, 
 
       " पहले तो मुझे अपनी ज़िंदगी में जगह देने के लिए, आपका शुक्रिया,
अपनी कॉलेज की सारी खूबसूरत लड़कियाें को रिजेक्ट कर मुझे पसंद करने के लिए, आपका शुक्रिया,
मुझे बेशुमार प्यार देने के लिए, आपका  शुक्रिया,
मेरी ज़िंदगी का हर पल खूबसूरत बनाने के लिए,आपका  शुक्रिया,  
मेरी हर गलती पे मुझे माफ़ करने के लिए,आपका  शुक्रिया, 
मेरी हर ख्वाइश पूरी करने के लिए,आपका शुक्रिया,
मुझे अच्छे बुरे की समज देने के लिए, आपका शुक्रिया, 
मेरे हर फैसले में मेरा साथ देने के लिए, आपका शुक्रिया, 
मेरे होठों की हर एक मुस्कान के लिए, आपका शुक्रिया, 
मेरी हर कमी पूरी करने के लिए, आपका शुक्रिया, 
मेरी हर तकलीफ में मेरे साथ खड़े रहने के लिए, आपका  शुक्रिया, 
मुझे मेरी खुद की पहचान देने के लिए, आपका शुक्रिया,
मेरे हर सवाल का जवाब बनने के लिए, आपका  शुक्रिया,  
मेरे हर एक दर्द में मेरा हमदर्द बनने के लिए, आपका  शुक्रिया,
मेरी हर छोटी से छोटी बात का ख्याल रखने के लिए, आपका शुक्रिया,
मुझे मेरी हर कमी के साथ अपनाने के लिए, आपका  शुक्रिया, 
मुझे अपने औरत होने का एहसास दिलाया, मेरी  हर उस हसीं रात के लिए, आपका शुक्रिया,
 साथ बीती हुई हर वो खूसबसुरत शाम के लिए, आपका  शुक्रिया,
अपने घर में मेरा मान सम्मान बनाए रखने के लिए आपका शुक्रिया,
मेरी ज़िंदगी का हर एक पल यादगार बनाने के लिए, आपका  शुक्रिया।

            चिठ्ठी पढ़ते-पढ़ते आशुतोष की आँखें भर आती है, क्यूँकि इस चिठ्ठी में उसके लिए नाही कोई शीकवा, शिकायत थी, ना ही कोई फरियाद।


           अब जस्मिना आशुतोष की चिठ्ठी पढ़ती है, जिसमें  आशुतोषने लिखा था,

    " मेरे घर को अपना घर मानने के लिए, आपका  शुक्रिया,
मेरे मम्मी-पापा को अपना मम्मी-पापा मानने के लिए, आपका शुक्रिया, 
मेरी छोटी बहन को अपनी बहन मानकर उसे भी अपने जैसा समझदार बनाने के लिए,आपका शुक्रिया,
मेरे सारे दोस्त और रिश्तेदारों को अपना समझने के लिए, आपका शुक्रिया,
मेरी दादी को अपनी दादी मानकर उनकी इतनी सेवा करने के लिए, आपका शुक्रिया, 
मेरी कम पगार में भी अच्छे से घर चलाने के लिए, आपका शुक्रिया,
मेरी दी हुई हर मामूली सी भेट को अपनाने के लिए, आपका शुक्रिया,
मेरे ना बताने पर भी मेरी हर बात को समझने के लिए, आपका शुक्रिया,
मेरी मम्मी की खरी-खोटी बात सेह जाने के लिए, आपका शुक्रिया,
कभी कभी मुझे और मेरे गुस्से को बर्दास्त  करने के लिए, आपका शुक्रिया,
हमारे बच्चों की अच्छे से परवरिश करने के लिए, आपका  शुक्रिया, 
मेरी हर छोटी से छोटी  ज़रुरत का ख़याल रखने के लिए, आपका  शुक्रिया, 
घर के सभी लोगों को एक डोर से बांधे रखने के लिए, आपका शुक्रिया, 
मेरी हर उलझन को सुलझाने के लिए, आपका शुक्रिया, 
मेरी हर परेशानी को समझकर कोई बड़ी माँग ना करने के लिए, आपका शुक्रिया, 
अपना सारा जीवन मुझे और मेरे परिवार को समर्पण करने के लिए, आपका शुक्रिया, 
मुझे और मेरे परिवार को बहुत सारा प्यार देने के लिए, आपका शुक्रिया,
और भी बहोत कुछ जो  इन कागज़ के पन्नो पे भी ना समां पाए हर वो बात, हर वो शाम, हर वो रात  के लिए, आपका शुक्रिया।"

     चिठ्ठी पढ़ते-पढ़ते  जस्मिना की आँखें भी भर आती है, क्योंकि आशुतोष ने भी जस्मिना के बारे में कोई शीकवा - शिकायत नहीं की थी। 
 
        तो दोस्तों, हमारे अच्छे-बुरे वक़्त में  हमारा साथ देने के लिए, हमारा अच्छे से ख़याल रखने के लिए, हमें पूरी ज़िंदगी प्यार देने के लिए, हमारी ज़िंदगी ख़ुशियों से भरने के लिए, अपने साथी का साल में एक बार ज़रूर शुक्रिया करना चाहिए, क्योंकि वो अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते है, हम सब को खुश रखने की, बस इस बात का सिर्फ हमें पता नहीं होता।  
                                                             Bela... 

  








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