ओ क्रिष्ना
तू मेरे साथ हर पल है, तु मुझ में, मैं तुज में हूँ, तू मुझ से दूर कहाँ, जहाँ तक मेरी नज़र जाए, वहांँ तक मुझे बस तू ही तू नज़र आए।
तू मेरी आँखों में और मेरे दिल में कुछ इस तरह बस चूका है, कि जहाँ तक मेरी नज़र जाए, बस तू ही तू नज़र आए। हर पेड़, पत्तो में, समंदर की गहराई में, आसमान में उड रहे पंछी में, बरसात की बूंदो में, हवाओ में बहते संगीत में, कोयल की कुकू में, भवरे के गुंजन में, मैया की लॉरी में, राधा की आंँखों में, गोपिओ के स्वपन में, सुदामा की दोस्ती में, अर्जुन की आँखों में, कर्ण के विश्वास में, बच्चों की मुस्कान में, भक्त की भक्ति में, बंसी की धुन में, देवकी की आंखों में, यशोदा के माखन में, हर इंसान में, अपने आप में, जिस ओर भी मैं देखूं मुझे बस तू ही तू नज़र आए।
लोग तुझे ढूंँढ़ने के लिए, तुझे एक नज़र देखने के लिए मंदिर जाते है, मगर तुझे देखने समझने या महसूस करने के लिए मुझे किसी मंदिर में जाने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि मुझे तो तू हर पल, हर जग़ह दिखाई देता है, तू हर पल मेरे साथ, मेरे पास ही है, मेरे रोम-रोम में तू बस चूका है।
तेरी बांसुरी की धुन मैं हर पल सुन सकती हूँ, तेरा मुस्कुराता चेहरा हर पल मेरे सामने ही होता है, मैं तुझ से ही तो हर पल अपने मन की बातें करती रहती हूँ।
तेरी दीवानी बन, क्यों मैं तुझे ढूँढू गली - गली ? जब की तू तो मेरे मन मंदिर में है समाया।
डाकोर, द्वारिका, मथुरा, वृन्दावन, श्रीनाथजी, तिरुपति में मैं तुझे क्यों ढूँढू ? जब की तू तो बसा है मेरे मन मंदिर में।
मैं तुझ में कुछ इस तरह खोई हूँ, जैसे की आसमान में बादल, फिर भला में तुझ से दूर कहाँ?
तो दोस्तों, अगर आप भी हर तरफ़ कृष्णा को ही देखने लगेँगे, तो दुनिया में कोई दुश्मन नहीं होगा, हर तरफ़ प्रेम ही प्रेम होगा क्यूंँकि अगर आप अपने दुश्मन में भी कृष्ण को देखेंगे, तो आप उसे माफ़ कर उसे भी प्रेम करने लगेंगे।
Bela...
बहुत खूब लिखा हैं....राधे राधे 🙏🌹🙏
ReplyDeleteThank you so much
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