ZINDGI KAA SAFAR

                    ज़िंदगी का  सफर
 
       करीबन रात को १२ बजे होंगे, परिमल अपनी किताब में रखी सुमित्रा की तस्वीर को देख के सुमित्रा को याद कर रहा है, जो अब इस दुनिया में नहीं रही, उसके होने का एहसास परिमल को आज भी है, परिमल की आँखों के सामने वो पल घूम रहा है, की जैसे अभी अभी ही तो सुमित्रा को... 
                   सुमित्रा कई दिनों से बीमार थी, तो परिमल उसे अस्पताल लेकर गया था, सब रिपोर्ट कराने के बाद परिमल को पता चला की सुमित्रा को brain कैंसर है, परिमल के पाँव निचे से तो ज़मीन ही सरक गई, उसकी समज में कुछ नहीं आ रहा था, की ये सब कब और कैसे हो गया ? उसने हर एक अच्छे से अच्छे डॉक्टर को दिखाया, मगर उसका ठीक हो पाना मुश्किल था, तब वह बहोत मायूस हो गया, 
                सुमित्रा अस्पताल के बिस्तर पे लेटी  हुई थी और परिमल कमरे की खिड़की से बाहर देखे जा रहा था, शायद वो सोच रहा था, कि वो क्या करे जिससे की सुमित्रा ठीक हो जाए। तभी सुमित्रा ने धीरे से आवाज़ लगाई, परिमल, जरा मेरे पास तो आओ, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। परिमल मूड के उसके पास जाता है, सुमित्रा ने परिमल को अपने पास थोड़ी देर बैठने को कहा, परिमल उसके पास बैठ जाता है। 
            सुमित्रा ने धीरे से परिमल का हाथ अपने हाथ में लिया और कहने लगी, कि " मुझे पता है, की तुमने अपनी तरफ से हर कोशिश कर ली है, मुझे बचाने की, मगर सारे डॉक्टर्स का एक ही जवाब आया है, इसलिए तुम बहुत परेशान से रहते हो, ये मैं देख रही हूँ, मगर अब तुम्हें परेशान  होने की कोई ज़रूरत नहीं, मुझे पता है, तुम्हें मुझ को खोने का डर सताए जा रहा है, मगर ज़रा सोचो तो, कि एक ना एक दिन तो ये होना ही है, फर्क सिर्फ इतना है, कि हमारी ज़िंदगी में ये पल थोड़ा जल्दी आ जाएगा, और हम दोनों को साथ रहने का वक़्त थोड़ा कम मिलेगा। मगर क्या हुआ की अब हमारे पास वक़्त कम है, हमारे पास जितना वक़्त है, उसी में मैं अपनी सारी  ज़िंदगी जी लेना चाहती हूँ, शायद तुम्हारा और मेरा साथ इतना ही है, ये समज लेना।


         आज में
 एक वादा चाहती हूँ तुम से, कि " मेरे जाने के बाद भी तुम हर पल खुश रहोगे, जैसे मेरे साथ रहते हो, तुम रोज़ सुबह गार्डन में walk पे जाना नहीं छोडोगे, समज लेना, कि मैं भी तुम्हारे साथ चल रही हूँ,  चाय - नास्ता वक़्त पे कर लिया करना, कयोंकि मुझे पता है, कि तुम्हें सुबह office जाने की बहुत जल्दी होती है, इसी चक्कर में तुम ठीक  से नास्ता भी नहीं करते, दुसरो के बारे में नहीं कभी अपने बारे में भी सोचा करना, हो सके तो दोस्तों के साथ फिर से cricket खेलना शुरू कर देना, जो तुमने मेरे साथ  वक़्त गुजारने के लिए बंद कर दिया था। अपनी मन पसंद मूवी देखते रहना और रात को रोज़ अपनी b. p  की गोलियांँ लेना मत भूलना। एक ज़रूरी बात और, तुम बुरा मत मानना कयोंकि कुछ दिन पहले मैंने तुम्हारी दोस्त  गरिमा को फ़ोन किया था और उसको मैंने मेरे बारे में सब बता दिया है, उसने आज तक शादी नहीं की, मुझे पता है, कि तुम college में उस से प्यार करते थे, मेरे जाने के बाद तुम्हें जब भी अकेलापन महसूस हूँ, तो गरिमा से शादी कर लेना। मुझे पता है, कि तुम अपने मन की बात किसी को बताते नहीं, मगर मैं सब जानती हूँ, आखिर तुम्हारी अर्धांगिनी जो हूँ, मैंने गरिमा को बता दिया है, कि बिच-बिच में वो तुम से मिलने आया करे और २ महीनो के बाद अगर तुम चाहो तो उस से शादी भी कर लेना। वार्ना ज़िंदगी बड़ी मुश्किल लगने लगेगी, अभी तुम्हारे सामने पूरी उम्र पड़ी है, अपनी ज़िंदगी मेरे ग़म में नहीं मगर मुस्कुराते हुए गुज़ारना, मैं तुम्हारे साथ कल भी थी, आज भी हूँ, और कल भी रहूंँगी और इसे ही मेरी आखरी ख्वाईश समज लेना। मुझे पता है, कि ये सब तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल है, मगर नामुमकिन भी नहीं है।" 
          सुमित्रा बोले जा रही थी और परिमल की आँखों से आँसू बहते जा रहे थे, देखते ही देखते सुमित्रा कब चुप हो गई, परिमल को पता ही नहीं चला और सुमित्रा इतना कहकर एक गहरी नींद में चली गई। परिमलने अच्छे से उसका सब क्रिया कर्म किया, मगर उसकी बाते परिमल भुलाये नहीं भूल पाता था, 
        शादी के २ साल में सुमित्राने परिमल को इतना प्यार दिया था, कि परिमल के लिए सुमित्रा की यादों से बाहर निकल पाना मुश्किल था। घर के हर एक कोने में अब भी परिमल उसे मेहसूस कर रहा था, कि जैसे सुमित्रा यही कही उसके आसपास ही हो।   
        मगर ज़िंदगी यादो के सहारे ही गुज़ारना बहुत मुश्किल है, सुमित्रा के बताए अनुसार गरिमा कभी-कभी परिमल को मिलने आया करती है, गरिमा परिमल के साथ बात किया करती, मगर परिमल को देखकर लगता, कि आज भी कभी-कभी वो सुमित्रा की याद में घूम रहता है। मगर वक़्त रहते गरिमा ने उसे सम्भाल ही लिया, और दोनों शादी करके साथ रहने लगे। सुमित्रा की आखरी खवाइश भी पूरी हो गइ और परिमल को ज़िंदगी जीने का सहारा भी मिल गया। 
       तो दोस्तों, कभी कभी ज़िंदगी के सफर में ऐसा भी दौर आता है, जहाँ कुछ भी कहने के लिए शब्द नहीं होते, बस यादें रह जाती है। 

        Please give me your valuable feedback.                                                                                 Bela...  
                                          








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