गरीब की लाचारी

                                                      गरीब की लाचारी

              दिसंबर का माह चल रहा था, कड़कड़ाती ठंडी थी, और बड़ी तेज़ ज़ोरो की हवा चल रही थी, हर चौराहे पे लोगो ने ठंड कम करने के लिए आग जलाके रखी थी, मगर हवा के तेज़ ज़ोको की वजह से आग की लपटे हवा के साथ इधर उधर होके बढती ही जा रही थी, ना जाने कौन सा तूफ़ान आनेवाला है आज, सब लोग अपने अपने घर के अंदर खिड़की और दरवाज़ा बंध करके स्वेटर और कम्बल ओढ़ के बैठे थे। 

          ऐसे में हमारे घर की डोरबेल की घंटी बजी, मुझे बड़ा ताजुब हुआ, इतनी रात गए, ऐसी कड़कड़ती ठंड में कौन आया होगा ? मैंने दरवाज़ा खोला, तो बाहर मंदिर के माली का बेटा था, जो माली रोज़ मंदिर के बाहर फूल बेचा करते थे, और उन्ही के पास से में घर के लिए भी रोज़ फूल लिया करता हूँ, कभी कभी उसका बेटा भी उसके साथ फूल देने आता था, इसलिए में उसके बेटे को भी पहचानता हूँ, जो फूल देने आया था, उसने गंजी और छोटा पतलून और बदन को ढकने के लिए सिर्फ एक छोटी चद्दर जैसा ओढ़ा था, मुझे बड़ा अजीब लगा। 

           मैंने उस नन्हे को, जो अभी सिर्फ 10 साल का होगा, ज़रा धमकाते हुए पूछा की ऐ राजू, तू इतनी रात को इतनी कड़कड़ती ठंड में क्या कर रहा है ? तुझे डर नहीं लगता क्या ? बाहर देखो रास्ते में कोई दिखाई दे रहा है क्या तुम्हे ?

             उस लड़के ने अपने हाथो में रखी फूलो की थैली देते हुए कहा की ये लीजिए, आपके पूजा के फूल।  

        मुझे बड़ी हैरानी हुइ ये देख, इसलिए मैंने सीधे ही उसे पूछ लिया की आज तेरे बाबा कहा है ? तू क्यूँ चला आया फूल देने ? वो भी इतनी रात को , इतनी भी क्या जल्दी थी ? कल सुबह जल्दी फूल देने आ जाता तो भी    चलता ना ?  बेवकूफ कहिका ?

             ये सुन राजू की आंँखे भर आई। वो रोते रोते  बोला की दो दिन से बाबा की तबियत ठीक नहीं है, उनको बड़ा तेज़ बुखार आ रहा है, डॉक्टर ने अस्पताल जाने के लिए बोला, मगर शायद बाबा के पास इतना पैसा कहा की अस्पताल का खर्चा उढ़ा सके। डॉक्टर ने कुछ दवाई दी, लेकिन उस से कुछ फर्क नहीं पड़ा, आज शाम को मैंने उन्हें चाय के लिए आवाज़ लगाई, तो उन्होंने अपनी आंँखें ही नहीं खोली, वो खड़े ही नहीं हुए, पता नहीं उन्हें क्या हो गया है ? ऊपर से मकान मालिक ने घर का किराया ना देने की वजह से हम दोनों को घर से ही निकाल दिया।  वो दूर पेड़ दिख रहा है, वहांँ  मेंने अपने बाबा को चद्दर ओढ़े सुलाया है, ये सोच कर अभी फूल देने आया की आज आखरी तारीख है, कल पहली तारिख़  के पैसे अगर आज ही मिल जाऐ, तो बाबा को अस्पताल तक ले चलुँ, ये सोच सब के घर अभी जा रहा हूँ, बाबा अगर इतने बीमार है, तो भला मुझे ठंड  कैसे लग सकती है ? अगर आप थोड़ी मदद कर दे तो आपकी बहोत बहोत मेहरबानी होगी साहेब। 

        उसकी बातें सुन एक गरीब की लाचारी पे बड़ा तरस आया, आखिर गरीब की किस्मत गरीब ही रहेगी।  

        फिर भी मेरा मन नहीं माना, मैंने उसकी मदद करने की सोच ली, मैं अपनी साल ओढ़े, सिर पे टोपी पहनी, और चल पड़ा उसके साथ जहाँ उसके बाबा सोये हुए थे, वहांँ जाके देखा तो, उसके बाबा को मरे हुए कई घंटे हो चुके थे, मगर इस छोटे से बालक को ये कैसे पता चलता ? की जिसको वो अस्पताल ले जाने के लिए इतनी कड़कड़ती ठंड में पैसो के लिए आया है, वही पैसे अब इसे अपने बाबा के अंतिमसंस्कार के लिए देने होंगे।  उसकी किस्मत में ही अगर भगवान ने ये लिख दिया है, तो भला हम कौन होते है इसको बदलने वाले ?

            कभी कभी सोचता हूँ, की भगवान भी कभी कभी कितना बेरहम हो जाता है, की किसीको छप्पर फाड़ के पैसा देते है, तो किसी को रोटी खाने के भी पैसे नसीब नहीं, किसी के पास अलमारी में कपड़े रखने की जग़ह नहीं, इतने भर भर के कपडे दिए है, तो कभी किसी के  पास इतनी कड़कड़ती ठंड में बदन ढकने के लिए भी कपडे नहीं, 

        कमसेकम इस गरीब नन्हे की, तो सुन लेता, जिसने तेरे हर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे तक फूल पहुचाएँ, उसी का घर तूने छीन लिया ? इतना सा भी ख्याल नहीं आया तुझे इस नन्हे राजू का ?  

           इतना भी बेरहम होके इम्तिहान मत ले तू सब का, अगर किसी दिन इनके अंदर की आग जल उठी ना तो ये तेरी बनाई हुई ये सारी दुनिया ही जला के राख कर देंगे, इसलिए हो सके तो थोड़ा रेहम कर ऐसे नादान पर, वार्ना कल को कोई तुझ पे भरोसा ना कर पायेगा, और ना ही कोई फूल देने तेरे मंदिर आएगा। 

              " बस  हो सके तो थोड़ा रेहम कर। "  

                                                                     Bela... 

 https://www.instagram.com/bela.puniwala/

           https://www.facebook.com/bela.puniwala


Comments

  1. कहानी ज्ञानवर्धक है लेकिन कुछ शब्दों में मात्राओं को सुधार करें जैसी बाहर को आपने बहार, कहीं को कहि लिखा है

    ReplyDelete
  2. Ji zarur, thanks to correct my mistake. I am new in writing so ...

    ReplyDelete

Post a Comment