दोस्ती या प्यार
मेरा नाम जूही,
आकाश ने जाते-जाते एक चिठ्ठी मेरे हाथों में रखी और वह सिर्फ़ उतना ही बोला, कि " मैं जा रहा हूँ, फिर हम मिले ना मिले तुम अपना ख्याल रखना।" मैं उसे कुछ कहती उस से पहले वह चिठ्ठी मेरे हाथ में रखकर चला गया। मैं उसे दूर तक जाता देखती रही, मुझे बड़ा अजीब लगा, क्योंकि मैं उसे 5 साल से जानती थी, वह ऐसा कभी भी नहीं करता था, उसके दिल में जो भी आता वह कह दिया करता था, तो आज ऐसी क्या बात होगी, जो उसे मुझे बताने के लिए इस कागज़ का सहारा लेना पड़ा ? मैंने सोचते-सोचते चिठ्ठी खोली और पढ़ने लगी, उसमें लिखा था, कि
जूही, बहुत दिनों से मुझे तुमको एक बात बतानी थी, मगर कह नहीं सका, शायद कल हम मिले ना मिले, या फिर मेरी चिठ्ठी पढ़ने के बाद हम दोनों एक दूसरे का सामना ना भी कर सके ! मैं अपने दिल पर कोई बोझ रखकर नहीं जाना चाहता। जूही मैं रागिनी से बहुत-बहुत प्यार करता हूँ, इसलिए इस जन्म में मैं उसे छोड़ ना सकूँ, और किसी को दिया वादा मैं तोड़ दू, ये मेरी फितरत में नहीं। और मुझे ये भी पता है कि तुम भी मुझे उतना ही प्यार करती हो, जितना की मैं और रागिनी एकदूसरे से।
हमारी कॉलेज के लैला मजनू reharsal में ही मैंने तुम्हारी आँखों में ये पढ़ लिया था, कि तुम भी मुझ से प्यार करने लगी हो, तुम्हारा वह बार-बार चुपके-चुपके से मुझे देखा करना, wats up पे अपनी लिखी हुई शायरी मुझे भेजना, fb और insta पे फोटो के साथ मुझे tag करना, अपनी नहीं मगर मेरी पसंद की तीखी पानीपुरी मेरे ही सामने दबा के खाना, जब की मुझे पता था, तीखा खाने से तुम्हारा गला ख़राब होता है, फिर भी सिर्फ मेरे लिए वह दर्द भी सह जाना, और याद है ? तुम्हारी birthday पे तुम शाम तक मेरा इंतज़ार करती रही, उस वक़्त तुम्हारे दस call का मैं जवाब नहीं दे सका, क्योंकि उसी दिन मैं अपना मोबाइल घर पे भूल अपने दोस्त के वहांँ चला गया था, और मैं भूल गया था, कि हम दोनों ने तुम्हारी birthday पे साथ में long drive पे जाना और पाव भाजी खाने का प्लान किया था, जैसे ही मुझे याद आया, मैं तुरंत ही अपनी बाइक लेके तुम्हारे पास चला आया, मैंने देखा, कि तुम तेज़ बारिश में छाता लिए मेरा इंतज़ार कर रही थी।
देर से आने की तुमने नाहीं वजह या सजा सुनाई, तो मुझ से रहा नहीं गया, मैंने तुम से पूछा, कि तुम घर क्यों नहीं चली गइ ? तो तुमने कहा, था, कि मुझे पता था की देर से ही सही मगर तुम ज़रूर आओगे। और देखो तुम आ ही गए। फिर हम दोनों हँस पड़े थे। क्या मैं तुमको इतना बेवकूफ़ लगा कि अगर तुम मुझे नहीं बताती, तो मुझे पता नहीं चलता ये सब ? और हांँ इसी वजह से मैं तुम्हारे प्यार की बहुत कदर करता हूँ, कि मुझे किसी और का होते देख कर ना ही तुम्हारी आंँखें नम हुई, और नाहीं तुमने अपनी पलकें चुराई। और नाहीं तुमने कभी मेरे ओर रागिनी के बिच आने की कोशिश की और ना ही तुमने कभी हम दोनों का प्यार तोड़ने की कोशिश की। अगर कभी रागिनी छोटी बात पे मुझ से रुठ जाती थी, तब तुम ने ही उसे मनाने में भी मेरी मदद की थी, मेरी समझ में नहीं आता, तुम ये सब कैसे कर जाती थी ?
किसी दूसरे की ख़ुशी में खुद भी खुश होने का दिखावा करना, सब के बस की बात नहीं, तेरी जग़ह अगर शायद मैं होता तो शायद ऐसा कभी नहीं कर पाता, इसलिए सलाम है तुझे, तेरी दोस्ती और तेरे प्यार को। कुछ ना कहकर भी सब कुछ कह जाती थी, उन आँखों को मैं कभी नहीं भूल पाउँगा। लेक़िन मैं ये वादा ज़रूर कर सकता हूँ की अगर तुम्हे जब भी मेरी ज़रूरत होगी, तुम मुझे सिर्फ दिल से याद कर लेना, मुझे तुम अपने पास पाओगी। मैं दुआ करता हूँ रब से, कि
" तुझे भी कोई मिल जाए, जो तेरा प्यार पाने के लिए दुनिया से भी लड़ जाए।"
तुम्हारा आकाश,
जिसे तुम रोज़ आसमान में बादलो के बिच देखा करोगी।
चिठ्ठी पढ़ते पढ़ते मेरी ऑंखों से चार बूँद आँसू आकाश की लिखीं हुई चिठ्ठी पे जा गिरे और मेरे ( जूही ) सामने अपने कॉलेज के 5 साल फिर से आने लगे जिन लम्हों के सहारे ही मैं अपनी सारी ज़िंदगी गुज़ारना चाहती थी।
मैंने आकाश को उस दिन पहली बार कॉलेज की canteen में देखा था, हम सब का कॉलेज का first year था, अब तक मेरी सिर्फ़ एक ही सहेली थी रीना,
और आकाश अपने दोस्तों की जान और कॉलेज की शान था, वह पढाई में, sports में, शरारत में, सब में नंबर one था। कॉलेज की सारी लड़कियांँ उस पे मरतीं थीं, मगर वह किसी को भाव नहीं देता था,
मैं भी उसे रोज़ दूर से देखा करती थी, मगर कभी सामने जाकर बात करने की हिम्मत नहीं हुइ, कॉलेज के दो semester ख़तम होने के बाद, कॉलेज में annual function आया, उस में एक drama करना था, मेरी दोस्त रीना ने ज़बरदस्ती उस में मेरा नाम लिखवा दिया था, reharsal के पहले ही दिन पता चला की आकाश ने भी अपना नाम उसी drame के लिए लिखवाया था, मैं खुश हुइ, चलो इसी बहाने थोड़ी मुलाकात तो होंगी। मेरे लिए सब से अच्छी बात ये थी, कि लैला और मजनूँ के उस drame में मुझे लैला और आकाश को मजनूँ के लिए select किया गया था। reharsal के दौरान बातें शुरु हुई, धीरे धीरे wats up, fb, insta, snapchat पे रोज़ बातें होने लगी। मुझे और भी अच्छा लगने लगा उसके साथ, दोस्ती प्यार में बदल गई।
बस फ़र्क सिर्फ इतना था, कि " उसने मेरे साथ सिर्फ दोस्ती निभाई और मैंने उसके साथ एकतरफा प्यार।"
हांँ, आकाश ने मुझे बातो-बातो में बता दिया था कि वह रागिनी के साथ प्यार करता है, और वो भी हमारी classmate ही थी, रागिनी वाकइ में बहुत खूबसूरत थी, किसी का भी दिल उस पे आ सकता था, आकाश के साथ-साथ रागिनी भी मेरी बहुत अच्छी दोस्त बन गइ थी, अक्सर हम तीनों साथ में ही मूवी देखने जाते, कभी dinner, कभी lunch, कभी long drive, कभी party, कभी समंदर किनारे तो कभी पानीपुरी।
पानी पूरी में हम तीनो हर बार रेस लगाते थे, उस में हर बार मैं ही जीतती थी, तब आकाश कहता था कि, तुम से जित पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, तब मन ही मन मैं सोचती की ज़िंदगी के हर इम्तिहान में चाहे भले ही मैं जीत जाऊँ, लेकिन दिल के इम्तिहान में मैं हार चुकी हूँ, यह जानते हुए भी की तुम मेरे कभी नहीं हो सकते, ये दिल आज भी तेरा दीवाना है और रहेगा। किसी और का प्यार मैं छीन लूँ ये मेरी फितरत में नहीं। प्यार का दूसरा नाम ही क़ुरबानी है, मुझे नाही आकाश के इज़हार या इंकार का इंतज़ार था, मैं तो बस उन लम्हों को ही जी लेना चाहती थी, जो मैंने उसके साथ बिताए थे, बस आकाश के साथ बीते हर शाम, बात और उन बीते हुए लम्हों को याद करके समेट लिया था हमने अपने अंदर ऐसे की जैसे अब ये हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन गए हो ! मैं उसे खुश देख कर ही खुश थी, कि मैं नहीं तो कोई और सही, इस जन्म नहीं तो अगले जन्म, तेरा इंतज़ार रहेगा मुझे, मैंने माँग लिया है रब से,
" इस जन्म नहीं तो कोई और जन्म लेकिन तेरा मेरा साथ होगा ज़रूर। "
लैला मजनूँ के drama में मैं उसकी लैला तो बन गई पर वह मेरा मजनूँ ना बन पाया। लेकिन तसल्ली दिल को इतनी है की वह मेरा जीवन साथी भले ही ना बन सका, तो कोई गम नहीं, एक ऐसा दोस्त मुझे मिला जिसके साथ मैं कभी भी कुछ भी बात कर सकती हूँ, वह मेरी हर problem का solution है, मेरे wats up, fb, insta और snapchat पे मेरे साथ उसकी तस्वीर तो है !
हम दोनों एक ही नाव में सवार थे, मगर उसे डूबता बचाने के लिए तूफ़ान के पहले ही मैंने खुद ही समंदर में डुबकी लगा दी, जिस से की वह बच जाए और आराम से नाव में बैठकर अपनी मंज़िल तक पहुँच पाए, जहाँ उसका कोई इंतज़ार कर रहा था,
मैंने अपने दिल की बात आकाश को कभी नहीं बताई। क्योंकि मैं समझती थी, कि अगर उसे किसी दिन पता चल जाता की मैं भी उस से प्यार करती हूँ, तब उसे बड़ी तकलीफ होती, वह मेरे पास और साथ रहकर भी नहीं रह पाता, हमारी दोस्ती को बचाने के लिए मैंने अपने प्यार को कुर्बान कर दिया। आख़िर क्यों ना करती मैं ऐसा ? जिसने मुझे प्यार करना और प्यार का मतलब सिखाया उसी से मैं उसका प्यार छीन लूँ, उतने बेदर्द हम तो नहीं।
लेकिन मैं नादान मुझे क्या पता था, कि आकाश ने मेरी आँखों में अपने लिए प्यार पहले से ही देख लिया था। मगर उसने अपनी दोस्ती निभाई और मैंने अपना प्यार।
आज उसकी चिठ्ठी पढ़कर बड़ी तसल्ली मिली इस दिल को, कि उसके दिल के एक कोने में मैंने अपना घर बना लिया था, प्यार तो आखिर प्यार ही होता है, चाहे वह दोस्तीवाला हो या और कोई।
तो दोस्तों, मेरी नज़र से " प्यार का मतलब सिर्फ अपने प्यार को पाने का जुनून ही नहीं, मगर उसकी ख़ुशी के लिए कुछ भी कुर्बान कर जाने का नाम भी प्यार ही है।"
आकाश और जूही ने एक दूसरे से बात छूपाकर जो फै़सला लीया था, वह सही था या गल़त ?
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Bela...
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