इतना तुम याद रखना

एक औरत का अपने पति की दूसरी पत्नी को लिखा हुआ ख़त, 

 " उनको जानने और समजने में हमको थोड़ा वक़्त लगा था, इतना तुम याद रखना, मगर तुम्हें उनको  जानने समझने में कोई दिक्कत ना हो, इसलिए उनके बारे में हम तुमको सब बताना चाहते है, जो तुम याद रखना, तो सुनो,

 उनको सुबह - सुबह जल्दी चाय की आदत है, और चाय में शक्कर थोड़ी कम चाहिए, इतना तुम याद रखना,

 खाना उनको तीखा पसंद है, मगर खाने में नमक थोड़ा कम हो तो वो उनको पसंद नहीं, इतना तुम याद रखना, 

अपने दिल की बात वो तुझे कभी ना बता पाए, तो बुरा मत मानना, क्यूंँकि वो बाते बहोत कम करते है, इतना तुम याद रखना, 

उसके सामने कोई ऊँची आवाज़ में बाते करे ये उनको पसंद नहीं, इतना तुम याद रखना,

गुस्सा उनको जल्दी आता है मगर तब तुम  चुप रेहना, इतना तुम याद रखना, 

गुस्से में अगर वो तुम्हे कभी कुछ बुरा भला बोल दे, तो नाराज़ मत होना, वो ऊपर से सख़्त और अंदर से नरम है, इतना तुम याद रखना,

वो मुस्कुराते थोड़ा कम है, तो उनको अपनी मीठी - मीठी बातों से कभी कभी हसा दिया करना, इतना तुम याद रखना,

घड़ी की तरह चलती है उनकी ज़िंदगी, उनको इंतज़ार करना या करवाना पसंद नहीं, इतना तुम याद रखना,

उनको अपने कपड़े प्रेस किए हुए और शूज पॉलिश किए  हुए पेहनने की आदत है, इतना तुम याद रखना,

घर बिखरा हुआ हो वो उन्हें कतई पसंद नहीं, इतना तुम  याद रखना,

अकेले में उनको पुराने गाने सुनने की आदत है, इतना तुम याद रखना,

उनको ऑफिस जाते वक़्त उनका टिफ़िन, नास्ता, रुमाल, मोज़े, शूज सब रेडी चाहिए, इतना तुम याद रखना,

रात को सोते वक़्त उनको गरम दूध चाहिए जिसमे शक्कर थोड़ी कम हो, इतना तुम याद रखना,

सुबह वक़्त पे उठना और  रात को वक़्त पे सोना उनकी आदत है, इतना तुम  याद रखना, 

 वो रूठे तो तुम उनको मना लेना मगर तुम रूठो तो शायद वो तुमको ना भी मनाए, तुम अपने आप ही मान जाना, इतना तुम याद रखना,

 बार बार किसी बात पे वो नाराज़ हो जाए, तो उनको अपनी खूबसूरत अदाओ से मना लिया करना, बस इतना तुम याद रखना,

दो साल उनसे दूर रेहने के बाद भी मुझे उनकी सारी आदतें याद है, इतना तुम याद रखना। " 

" में जा रही हूँ, उनको तू बस इतना बता देना की जैसा मेरे साथ किया, वैसा किसी और संग ना करे, में तो उनको अपना बना न सकी, तू उसे अपना बना लेना, इतना तुम याद रखना, ज़िंदगी है छोटी, साथ निभाना एकदूसरे का, में हुइ अब इन सब से आज़ाद तू बस उनका ख्याल रखना। आज मुझे महसूस हो रहा है की अब तक में एक पिंजरे में थी और अब में उस पिंजरे से आज़ाद हूँ, में जो चाहूँ कर सकती हूँ, अब मुझे किसी के आने का इंतज़ार नहीं रहेगा, अब मुझे किसी के सहारे नहीं जीना पड़ेगा, और नाहीं किसी का गुस्सा बर्दाश्त  करना पड़ेगा, नाहीं किसी से डर - डर कर जीना पड़ेगा, जिस पिंजरे को में आज तक ताज महल समज रही थी, अब में उस पिंजरे से आज़ाद हूँ, उन पंखो को, उन सपनो को उडने की आज़ादी है, जो अब तक पिंजरे में थे। मुझे अब उनकी कोई फ़िक्र नहीं, क्यूंकि आज से तुम हो उनका ख्याल रखने के लिए, बस इतना तुम याद रखना,  शुक्रिया तेरा की तुमने मुझे यहाँ से आज़ाद किया और मुझे मेरी नई पेहचान मिली। में जा रही हूँ, बहोत दूर, तुम बस अपना और उनका ख्याल रखना। 

              "  दुनिया की मूझे परवाह नहीं,

                  जब अपनों ने ही साथ छोड़ा मेरा,

                  तब गैरों से शिकायत कैसी !"

                                                     " एक पत्नी जो कभी में बन ना शकी। 

                                                        एक औरत जो अब आज़ाद है। "

तो दोस्तों, क्या उसने अपना घर और हक़ छोड़ के अच्छा किया या नहीं ? ज़िंदगी में कौन सी परिस्थितियों में हम कैसा सोचते है ये हमारी सोच पर निर्भर करता है, हमने क्या खोया, ये नहीं मगर खोकर क्या पाया, ये सोचे तो ज़्यादा खुश रेह पाएंँगे, जैसे की अगर वो औरत ये सोचकर  दुःखी रेहती की उसके  पति ने दूसरी शादी कर ली, इस से बेहतर उसने ये सोचा की में खुद इस पिंजरे से आज़ाद हूँ। ज़िंदगी में मुसीबते तो आति रहेगी, हमें कैसे बहार निकलना है, ये हम को सोचना है। ज़िंदगी में कभी लोग क्या कहेंगें, ये मत सोचो, तुम्हें  क्या करना है, और तुम्हें ख़ुशी जिस से मिलती है, वही तुम करो।   

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