उफ्फ ! ये इश्क़
एक जवान लड़का और लड़की जिनकी अभी अभी ही शादी हुई है, उनकी शादीसुदा ज़िंदगी की शुरुआत।
जो कुछ ना कहकर भी,
सब कुछ कह जाती है हमें,
उनके वो आधे अधूरे शब्द,
जो हमें बहुत कुछ सोचने,
पर मजबूर कर देते है,
उनकी वो ख़ामोशी,
जो हमारे इस दिल को,
और भी तड़पाती है,
उनके होठों की वो,
प्यारी सी मुस्कान,
जो इस दिल को,
और भी बेताब कर देती है,
उफ़्फ़ ! की उनकी वो शर्मोहया,
हमें हमसे ही चुरा लेती है,
उनकी वो पायल की छनछन और
चूड़ी की खनखन हमें उनका ओर,
भी दीवाना बना देती है,
उनके माथे की चमकती बिंदी,
जिसे हम कभी-कभी चुपके से,
किताबों के पीछे से देखा करते हैं,
हमें उनके ओर भी करीब ले आती है,
हमारे लिए सुबह चाय बनाते वक़्त,
उनका साडी का पल्लू बार बार सरक जाना,
और उस पल्लू को समेटते हुए,
अपनी कम्मर पे खोच देना,
जिसे हम चुपके से देखा करते है,
उनके वो रेशमी से बाल,
जो खाना बनाते वक़्त उनको ही,
जानबूझकर परेशांन करते रहते हैं,
और उन बिखरी हुई ज़ुल्फ़ो को,
अपने ही हाथो से रबर में लपेटना,
जिसे हम चुपके से देखा करते हैं,
उनकी ये नादानीभरी अदाए,
हम को और भी दीवाना बना देती हैं,
उनके साडी का पल्लू, हमारे सिर के ऊपर से गुज़रना,
उनकी वो बदन की महकती हुई खुशबू,
उनके हाथों बनी, सुबह की वो पहली गरम चाय की प्याली,
हमारी तरफ़ उनकी वो कातिलाना नज़र,
कह रही हो,
" आज तुम कही ना जाओ सैया, कुछ पल तो मेरे साथ भी वक़्त गुज़ारो। "
दिल कहता है, की वक़्त यहीं थम जाए, और हम उनके आगोश में समां
जाए,
मगर क्या करते, मगर क्या करते, की ऑफिस तो जाना था, बॉस का फ़ोन आ रहा था, वो मुस्कुरा रही थी, और प्यार से मुस्कुराते हुए, उन्होंने हमारे हाथों में ऑफिस की बैग और टिफ़िन पकडाके, हम को दरवाज़े की और इशारा करते हुए धक्का देते हुए, सिर्फ इतना ही कहा, " शाम को जल्दी घर आ जाना, हम आपका इंतज़ार करेँगे।" हम उनकी मुस्कान देखकर, अपने दिल को समझाते हुए, ऑफिस की और चल पड़े, उसने दरवाज़ा बंद कर दिया, ऑफिस जाते-जाते भी हम उन्हीं के बारे में सोच रहे थे।
" अब तो आदत सी हो गई है,
हमें तेरे साथ रहने की,
अब तो आदत सी हो गई है,
हमें तेरे साथ रहने की,
मैं शायर तो ना था,
मगर तेरे प्यार ने हमें,
शायरी सीखा दी,
मैं आशिक तो ना था,
मगर तेरे प्यार ने हमें ,
आशिकी सीखा दी,
अब तो इस दिल को,
तेरे ही खयालो में घूम रहने की,
आदत सी हो गइ हैं,
ये सोचकर डर लगता है,
ये सोचकर डर लगता है इस दिल को,
की कहीं तेरी ये दीवानगी,
हमको एक दिन पागल ना बना दे,
हम ने तुमको दिल दे दिया है,
इसे बस अब तुम सँभाल के रखना,
क्योंकि हमारा ये दिल,
पथ्थर का नहीं,
शीशे का है,
कही टूट ना जाए। "
सामने से उनका जवाब आया, हम को एक खवाब समझकर अपनी पलकों में ऐसे छुपा लो की कोई चाहकर भी हमें तुम से चूरा ना सके, अपने प्यार के रंग में हमें ऐसे रंग दो की हम चाह कर भी आप का दिल तोड़ ना सके।
बस, तेरी ऐसी ही बातों पे तो हम मरते है जाना, आप बस शाम होने का इंतज़ार करो, हम आपको अपने प्यार के रंग में रंग ने आ रहे है आपके पास। बस कुछ पल का इंतज़ार करो।
तो दोस्तों, आप अपने प्यार को, प्यार की ऐसी मज़बूत दौर से बांध के रखो, कि वो चाहकर भी कभी, कहीं किसी की ओर जाने ना पाए। Bela...
उफ यह नजर ढूंढती है उसी एक शाम को
ReplyDeleteजिस की मस्ती में भुलाया था हर काम को
ध्यान रहता उधर जब की मंजिल है इधर
उलझन में भूल जाते हैं हम जरूरी काम को
Very nice
ReplyDeleteBahot khub kaha aapne