सुनो सुनो दोस्तों,
" दो बेटो की कहानी,
एक दिन सोचा, जाना है दूसरे देश,
तो बेच दे माँ का घर,
एक ने मांँगी माँ तो दूसरे ने माँगा पैसा,
दोनों लेकर चले गए, अपना अपना हिस्सा,
जिस के पास था माँ का प्यार और आशीर्वाद,
कामियाबी ने उसके कदम चूमे,
जिस ने ठुकराया माँ का प्यार और गले लगाया पैसो को,
वो पछताए सर पे रख के हाथ। "
इसलिए दोस्तों, सबसे बड़ी दौलत " माँ " होती है।
जायदाद में मिला पैसा तो एक ना एक दिन ख़तम हो ही जाएगा,
मगर माँ का आशीर्वाद और प्यार कभी नहीं ख़तम होता।
जिसकी समज में ये आ जाए की,
असली ज़ायदाद तो माँ का आशीर्वाद और प्यार है,
उसे भगवान के आशीर्वाद की भी ज़रूरत नहीं रहती।
Bela...
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