उलझन
कभी कभी रिश्तों में उलझने बढ़ जाती है,
पेहले तो हम उस उल्झे हुए रिश्तों को सुलझाना चाहते है,
मगर उन उल्झे हुए रिश्तों को सुलझाने में हम ओर भी उलझ जाते है,
फिर भी अगर हम उन उलझे हुए रिश्तों को अगर ना सुलझा पाए तो,
उन उलझे हुए रिश्तों को वही छोड़ देना चाहिए, क्यूंँकि
ऐसे उलझे हुए रिश्तो को सुलझाने में हमारी ज़िंदगी और भी उलझ जाती है,
और उस उल्झन में ना पड़कर, हमें अपनी ज़िंदगी को सुलझा देना चाहिए,
हमें उन उलझे हुए रिश्तों को पीछे छोड़ कर, ज़िंदगी में आगे बढ़ना चाहिए,
ताकि हम उस उल्झन से बहार निकल सके।
Bela...
Picture drawn
by
NANDINI PUNIWALA
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