MY INSPIRATION

                             MY INSPIRATION
 
       आज गुरुपूर्णिमा के दिन मेरा सादर प्रणाम, उन सभी गुरू को जिसने मुझे जीना सिखाया, हसना सिखाया, माफ़ करना सिखाया, भूल जाना सिखाया, प्रेम करना सिखाया, प्रेम बाँटना सिखाया। 

     तो दोस्तों, आप अपनी  ज़िंदगी में अपना गुरु किसे मानते है ? और  क्यूँ  ? क्या ज़रूरत और क्या एहमियत है गुरु की हमारे जीवन में ? 

      मेरे तजुर्बे के मुताबिक, जिसने हमें हमारी एक नई पहचान दी, हमारी उँगली पकड़कर हमें चलना सिखाया, हमारी हर तकलीफ में हमारी हिम्मत बन कर हमारे साथ खड़े रहे, हमें सही और गलत का फर्क समझाया। रिश्ते को निभाना सिखाया, वह हमारे गुरु हमारे माता पिता है।
 
       जिसने हमें पढ़ना - लिखना सिखाया। ज़िंदगी में पढ़ लिखकर आगे बढ़ना सिखाया। हमारी गलती पे हमें मार भी पड़ती, हमारे अच्छे बर्ताव पे  हमें शाबाशी भी मिलती, हमें सच का सामना करना सिखाया। सच्चाई के रास्ते पर चलने में तक़लीफ़े बहोत आएगी, मगर आगे जाके तुम्हें सफलता ज़रूर मिलेगी। और बुराई का रास्ता बहोत आसान होगा, जहाँ तुम बिना किसी तकलीफ के आगे निकल जाते हो, मगर वह सिर्फ और सिर्फ कुछ समय के लिए रहता है, " बुराई का अंत बुरा होता है " शिक्षा  का पाठ सिखाया हमारे  गुरु स्कूल, कॉलेज के टीचर ने। 
  
      जिसने हमें सबके साथ प्रेम करना और प्रेम बाँटना सिखाया, असली ख़ुशी प्रेम छीनने में नहीं, प्रेम देने में है, देश की रक्षा, परिवार और सम्बन्धियों की सुरक्षा, संतान को संस्कार, जीवन साथी का आभार करना सिखाया।  अगर कहीं तुम्हारे सामने कुछ गलत हो रहा हो तो मौन मत रहो, सच और अच्छाई  का साथ देना और बुराई के विरुद्ध लड़ना सिखाया वह हमारे गुरु भगवान् श्री कृष्ण ने।  

       गुरु वह जो पहले आपकी परीक्षा लेते है, फिर आपको सिखाते है, गिरकर संभलना सिखाते  है, शायद हम गुरु के पास तब जाते है, जब हमारा साथ हमारे अपने ही छोड़ देते है, तब सिर्फ गुरु ही हमारा साथ देते है, हमारी हिम्मत बनके हमारे मुश्किल समय को आसान बना देते है, जब हमें ज़िंदगी में कोई रास्ता ना दिखे, तब गुरु ही हमें सही रास्ता दिखाते है, बिना पूछे आपके हर सवाल का जवाब आपको मिल जाए वह सिर्फ आपके गुरु ही कर सकते है, अंधेरो में जो आपका हाथ पकड़ता है वह सिर्फ आपका गुरु ही हो सकता है, ज़िंदगी में सही और गलत का पाठ सिखाए, वह आपके गुरु ही कर सकते है। 
मुझे आज भी  याद है, मेरे गुरु ने मुझसे सिर्फ एक ही बात कही थी, " पिछला सब भूल जाओ, और ज़िंदगी में आगे बढ़ो। " बस उसके बाद मेरी ज़िंदगी बदल गई। वह मेरे गुरु श्री श्री रवि शंकरजी, जिसने ज्ञान और ध्यान  सिखाके सिर्फ मेरा  ही नहीं सबका जीवन सवार दिया।

        और हां गुरु सिर्फ वो नहीं, जिसे आप अपना गुरु मानते है, ज़िंदगी में हर वो लोग आपके गुरु है जिनसे आपने कभी भी कुछ भी सीखा हो,जैसे आपके माता - पिता, आपके शिक्षक, आपके दोस्त, आपके पति या पत्नी, आपकी संतान, आपके भाई या बहन, आपके भगवान वह कोई भी हो सकता है। 

         तो दोस्तों, वह कोई भी का, आप धन्यवाद करना न भूले जिसने आपको जीना सिखाया, हसना सिखाया। बहोत नसीबवाले होते है वो लोग जिनको जीवन में  गुरु मिलते है, उनसे भी नसीबवाले वो होते है, जिनको गुरु का सानिध्य मिलता है, और उनसे भी कई गुना ज़्यादा नसीबवाले वो होते है, जिनको गुरु शरीर के रूप में मिलते है।  


               
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