रिश्तें

                                         रिश्तें 

      रिश्तें जिसे हम हर पल बांध के रखना चाहते है, मगर शायद आप सब को मेरी ये बात गलत लगे। मेरा  तजुर्बा  केहता है, कि  माँ, बाप अपने बच्चो को, पति पत्नी एक दूसरे को, सास अपनी बहू को, मालिक अपने नौकर को, एक प्यार की डोर से बांध के रखना चाहते है। जैसे की समंदर की रेत,

        जिस तरह  समंदर की रेत को तुम जितना अपनी मुटठी में पकड़ना चाहोंगे, वो उतनी ही तुम्हारी मुटठी से सरक ही जाएगी। तुम उसे ज़्यादा  देर तक अपनी मुटठी में नहीं रख सकते हो, 

           वैसे ही पानी की धारा, बहती हुइ पानी की धारा को रोकने के लिए, तुम चाहे  कितनी भी लम्बी दीवार खड़ी  कर दो, मगर वो अपना रास्ता बना ही लेती है, उसे कोई रोक नहीं सकता है, तो फिर तुम कौन होते हो, किसी को रिश्तों के बंधन से बांधने वाले ? कृष्ण की ओर बढ़ती गोपी और राधा को भला क्या कोई रोक सका है ?  

            किसी को बिज़नेस करना है, किसी को चाँद पे जाना है, किसी को परबत पे चढ़ना है, किसी को प्लेन उड़ाना है, किसी को पेंटर बनना है, किसी को इंजीनियर बनना है, किसी को कुक, तो किसी को शायर, किसी को एक्टिंग के लिए मुंबई जाना है, तो किसी को पढ़ने के लिए विदेश।     सब को अपनी मंज़िल पाने के लिए कहीं न कहीं तो जाना है, अब ये सब घर बैठे तो नहीं हो सकता ना ! 

           मान लो की  किसी लड़के को पढ़ने के लिए विदेश जाना है, मगर उसके माँ और पापा उसे रोक लेते है, ये कहकर की तुम चले जाओगे तो हमारा क्या होगा ? अपनी ख़ुशी के लिए, अपना अकेलापन दूर करने के लिए माँ - बाप उस लड़के को जाने से मना कर देते है। ये भी सही है की माँ - बाप को उसकी चिंता भी लगी रहती है कि कही बेटा गलत राह पे ना निकल जाए।  मगर ये भी तो हो सकता है, कि वहांँ  जाने के बाद वो ओर भी ज़िम्मेदार बन जाए, और वह वो बन के दिखाए, जो आज तक आप नहीं बन पाए। रिश्तों के बंधन से मत बाँधो किसी को, क

कयोंकि  वो अपनों  के साथ रहेगा सही, मगर उसका मन कहीं और होगा । इसलिए उसे जाने दो, जी लेने दो उनकी ज़िंदगी उन्हें। 

         एक पत्नी अपने पति को अपने से बांध के रखना चाहती है,  वह उसे बहुत प्यार करती है, और इसीलिए वह डरती है कि कही उसका पति उसे छोड़ के किसी और के साथ ना चला जाए, और इसी डर की वजह से वह अपने पति को कहीं दूर काम पे जाने से किसी बहाने से रोक लेती है, वो रुक जाता है, मगर क्या पत्नी अपने पति के मन को रोक सकती है क्या ? उसके मन को बांध कर रख सकती है क्या ? पति  भले ही उसके साथ होगा, मगर उसका मन तो कहीं ओर ही होगा। जहाँ जाके उसे अपना नसीब आज़माना है। अपने सपनों को पूरा करना है। क्या वह  रोक सकती है उसके मन को ? नहीं ना ! तो फिर जाने दीजिऐ उन्हें, जो जाना चाहते है। उसी तरह किसी की पत्नी अगर फैशन डिजाइनिंग करना चाहती है, या डांस सीखना चाहती है, तो उसे करने दो, अगर आप उसे भी बांध के रखोगे तो, वो ना घर में उसका मन लगेगा और ना ही कही ओर। वो आपके साथ रह कर भी नहीं रहेगी, वो खुश नहीं रह पाऐगी।  

           जो पास होकर भी हमारे पास ना हो, उन रिश्तों का क्या मतलब ?  रिश्तों को किसी डोर से मत बांधो, मेरा तो कहना है की सब को अपनी ज़िंदगी अपनी मर्ज़ी से जीने का हक़ है, मगर हा, अगर उसका ज़िंदगी जीने का तरीका गलत हो तो आप उसे ज़रूर रोके और सही रास्ता दिखाए ये बहुत ही ज़रूरी है।  रिश्तें बड़े नाज़ुक होते है, जिसे टूटने में ज़रा सा भी वक़्त नहीं लगता, मगर उसे जोड़ने में ज़िंदगी बित  जाती है, रिश्तों को समझो, सवारों, पेहचानो,और संभाल के रखो, तुम्हारे अपने तुम से दूर कभी नहीं जा पाएँगे। 

                                                               Bela...

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