WRITER
लेखक की कहानी उसी की झुबानी । लेखक कया सोचता है ? वो कैसे अपने दिल की बात इतने अच्छे से बयाँ कर सकता है ? जहाँ तक मुझे पता है, वो हर पल जो देखता, सुनता और मेहसूस करता है, शायद वही वो लिखता है।
दुनिया मे रहने वाला हर इन्सान लेखक ही तो होता है। जब कोई इन्सान अपने दिल की बात कागज़ पे लिखता है, तब वो एक लेखक ही तो होता है। हर इन्सान के दिमाग मे कुछ ना कुछ चलता ही रेहता है। अपने ख़यालो को शब्दो मे परोए, वो लेखक। अपने दिल की हर बात जो कागज़ पे लिख सके, वो लेखक। फूल, पंछी, बादल, सुरज, चाँद, सितारे, शाम, सवेरा, रोशनी, अंघेरा, खिड़की, दिवार, परबत, बारिश़, मौसम और भी बहो़त कुछ, जो वो मेहसूस करता है, वो एक आवाज़ उसके अंदर से उठती है और वो लिखने लगता है। वो अपने ख़यालो मे ही गुम रहता है। सपनो के बारे मे लिखते वक्त ये जरुरी नहीं की वो उसी रात को ही लिखे। पहाड़ और समंदर के बारे मे लिखने के लिए जरू़री नहीं की, वो उस जग़ह पर जाके ही लिखे। वो अपने ख़यालो में ही वहाँ होता है। और कलम अपने आप चल पड़ती है। एक लेखक हर किरदार को जीता है, वो जिसके बारे में सोचे या लिखे उसे वो मेहसूस करता रेहता है। कभी बारिश़, कभी बादल, कभी बीजली, कभी छाँव़, कभी माँ, कभी बहन, कभी प्रेमी, प्रेमीका, पति, पत्नी, सास, बहु, बाप, बेटा, दोस्त, डॉकटर वकी़ल, नसॅ, भिखारी, विघ्याथीँ, टीचर, और भी बहो़त कुछ़ वो एक ही जि़दगी मे हर पल कोई ना कोई किरदा़र के साथ वो जीता रेहता है। कलम हाथों में हो और शब्द अपने आप चल पडे, वो लेख़क ।
Bela...
Comments
Post a Comment