फूल अपने आप से बहोत खुश है. अपने आप पे उसको बहोत अभिमान है। वो सोचता है, मुझ में बड़ी खुशबु और सुंदरता है, सब का में प्यारा हूँ। सब मुझे बहोत पसंद करते है, मेरी खुशबू से सारा जहाँ महेकता है। में कीचड़ में खिलता हूँ, बागो में खिलता हूँ और लोगो के घरो में भी खिलता हूँ, लोग मुझे देखते ही खूब खुश हो जाया करते है। मेरे अनेक रंग रूप है, बागो में भंवरे मुझ पे गुनगुनाते है, सूरज की रोशनी से हम खिल उठते है, चाँद की शीतलता हमको ठंडक देती है, माली हमें रोज़ पानी देता है और हमारा ख्याल भी रखता है। हमारी खुशबु से सारा बाग महेक उढता है। माली हमें चुन के मंदिर में पूजा के लिए दे देते है। वाह ! कितनी अच्छी हमारी किस्मत है की हम भगवान के सर पे और पावो में बस कर उनकी शोभा बढ़ाते है। फूलो की माला भगवन को चढ़ाई जाती है। मस्जिद में हमारी चद्दर बनाकर ओढ़ाया जाता है। औरत अपने बालो में हमें सजाती है। शादी में हमारे से ही तो डेकोरेशन होती है।
मगर उस फूल को क्या पता था की जो खिलता है वो एक न एक दिन मुरझाता भी है और मुरझाई हुइ चीज़ो की कोई कीमत नहीं होती। जो फूल सुबह मंदिर और मस्जिद में चढ़ाये गए थे वही फूल मुरझा जाने पर शाम को वहा से उतारकर सीधे कचरे में दाल दिए जाते है और दूसरे दिन नए फूल चढ़ाये जाते है। औरते भी बालो में लगाए फूल मुरझा जाने पर उतारकर फ़ेंक देते है। अभी इन फूलो की कोई किम्मत नहीं रही।
अब वही फूल ने सोचा अच्छा खासा में बाग में खिल रहा था। महक रहा था। अब देखो मेरी क्या हालत हो गई ! अब वो खुद अपने आप से ही शर्मिन्दा है। जब तक वो बागो में अपने परिवार के साथ है तब तक ही वो खुश है। उसके बाद इधर से उधर. उसकी कोई कीमत नहीं है। अब जिस किस्मत पे उसे इतना नाज़ था उसी किस्मत को वो कोस रहा था। वो रोते रोते मिन्नत कर रहा था जैसे, हमें मत अलग करो अपने परिवार से, अपनी डाली से, अपने माली से अपने भवरे से, हमें खिलने और महेक ने दो खुली हवा में। बस इतनी ही गुज़ारिश है आप लोगो से।
तो दोस्तों अगर आपको भी प्यार है फूलो से तो न तोड़ो और तोड़ने दो उनको अपनी डाली से अपने परिवार से।

Nice
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