NATKHAT KANHA ( Part 2 )

(कान्हा की बात सुनकर राधा खुश होती हुई, गोपी के पास जाने लगी,)

राधा: मुझे सब पता चल गया है की तुम सब ने मिलके मेरे साथ मजाक किया था की कान्हा तुम सब से प्रेम करता है, और कान्हा की आँखों में तुम सब ने अपने आप को देखा। मुझे कान्हा ने सब बताया दिया है.. कान्हा तो सिर्फ और सिर्फ मुझसे ही प्रेम करता है, और किसी से नहीं। 

गोपी: अरे नहीं राधा, ये सच नहीं है, कान्हा ने तुम्हारे साथ छल किया है, हम सबको लगा था कि वो जूठ बोल रहा है।  फिर हम सबने उसकी आँखों में खुदको ही देखा, अगर तुम्हें यकिन नहीं आता तो चलो अभी हमारे साथ, सब साथ में मिलके कान्हा से पूछ लेटे हैं.. (फिर सब चल पडे कान्हा के पास ) कान्हा ने चुपके से गोपी और राधा की बात सुन ली.. और सोचने लगा: ये सब तो साथ में आ रहे हैं, अब में क्या करू। कैसे सबको समझाऊ? मन ही मन बोला: ये कैसी विपदा आन पड़ी मुझ पर.. कुछ तो सोचना होगा। कान्हा मूड के नदी के पास एक बड़े से पत्थर पर जाके आँखें बंद कर के बैठ गया। तभी वहाँ राधा और सब गोपियांँ साथ में आ गई। और सब उसे पुकारने लगे। कान्हा, कान्हा, सुनो तो, ये राधा क्या बोल रही है? आज तुम्हें हम सब को सच बताना ही होगा की तुम किस से प्रेम करते हो? राधा या गोपी? 

कान्हा: (कान्हा धीरे से खड़ा हुआ, मूड के सब की ओर देखने लगा। सब की आँखों में एक ही सवाल था।) अब में तुम सब को कैसे समझाऊ ? अच्छा चलो राधा तुम बारी बारी से मेरे सामने सब गोपी की आँखों में देखो, तुम्हें क्या नज़र आता है? ये बताओ... राधा और गोपी ने बिलकुल वैसा ही किया जैसा कि कान्हा ने कहा था। राधा को बड़ा ताजुब हुआ, की ये कान्हा इससे क्या साबित करने वाला है.. फिर राधा ने जाकर सबकी आँखों में देखा तो सबकी आँखों में अपनी ही तस्वीर दिखी। बड़ा ताजुब हुआ की ये कैसा भला? और राधा की आँखों में सब गोपी ने कान्हा को ही देखा.. इस तरह राधा को लगा की गोपी झूठ ही बोल रही है। 

(राधा की समाज में कुछ न आया। वो कान्हा की और देखती रही)

कान्हा: (अब कान्हा सामने आया और सबको समजाने लगा ) देखा मेंने किसी से कोई झूठ नहीं बोला, जो जिसके सामने होगा उसकी तस्वीर सामने वालो की आँखों में देखेंगे ना! इस में कौनसी बड़ी बात है.. सब की समज में कुछ ना आया। मगर सब कान्हा की बातों में हामी भरने लगे। की कान्हा ही सच बोल रहा है। और गोपियांँ उल्जी हुइ, सोचती हुई अपने अपने रास्ते पर चल पड़ी। (मगर राधा अभी भी रुकी हुई थी। सोच रही थी।) कान्हा ने उसे समजाते हुए कहा की राधा देखो उन सब को तुम्हारी आँखों में मैं दिखा, इसका मतलब है की, उनहोने मुझे देखा, क्योंकि तुम और में एक दुसरे से अलग थोड़ी ना है। मेरी आँखों में तुम और तुम्हारी आँखों में मैं बसता हूँ। हमें किसी पहचान की ज़रुरत नहीं है। अभी भी राधा की समज में कुछ नहीं आ रहा था। वो सुनती राही, और बोली छल्या कहिका, बोलकर आगे चलने लगी। तबी कान्हा ने अपनी बांसुरी निकाली और मन को मोह लेने वाली मधुर बांसुरी की धुन बजाने लगा। राधा जाते जाते दो पल रुक गई। और फिर कान्हा की बांसुरी की धुन की और चल पड़ी। कान्हा बांसुरी बजाता चला गया, और राधा उसके पास बैठकर उसकी बांसुरी की धुन में खो गई। सामने से सारी गोपिया भी बांसुरी की धुन सुनकर उसके पास दौड़ी वापस आ गई, और आँख मुंड कर सब वही पर बैठ गई। सब को कोई होंश नहीं था। और सब क्या हुआ था वो सब भी भूल गई..

इस तरह कान्हा ने राधा और गोपी सबको समजा दिया।  

                                     https://www.instagram.com/bela.puniwala/

Comments

  1. Wah👏👏Radhe Krishna Radhe Krishna🙏Adbhut 👌🙏Belaji🙏👌

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