लोकडाऊन की सीख़

                                                  लोकडाऊन की सीख़ 

          लोकडाऊन ने सब को कुछ ना कुछ सीखा ही दिया है। पहले तो मानो किसी को लोकडाऊन मंज़ूर नहीं था। सब घर में बोर हो रहे थे। क्या करे कुछ समझ में नही  आता था। पापा अपने ऑफिस बंध हो जाने से परेशान,  तो माँ को सब काम की परेशानी और ऊपर से हम तीन बच्चे घर में है, इसलिए  दिन भर शैतानी करते रहते है, पापा और माँ मे पैसे और काम की बज़ह से झगड़ा होता था तो कभी सास और बहु भी उलझ जाते थे, सब अपना गुस्सा बच्चों पे निकालते थे। घर में रोज़ कोई न कोई तमाशा होता रहता था। घर में जैसे अपनों से ही शिकायत रहती थी। धीरे धीरे  लोकडाऊन बढ़ने लगा। 


      पापा को लगा माँ  दिनभर कितना काम करती है, तो ये सोचकर पापा ने माँ की हेल्प करनी शुरु कर दी। माँ को थोड़ा अच्छा भी लगा। फिर ऑफिस का काम ऑनलाइन शुरु हुआ और बच्चों की पढाई भी ऑनलाइन शुरु हो गई। जॉब  की बज़ह से पापा घर में सबको कभी वक़्त नहीं दे पाते थे, ऑनलाइन जॉब की बज़ह से वो अब सब के साथ वक़्त बिता भी सकते है और अपना काम भी आसानी से कर सकते है।  सास और बहु के बीच जो कभी बनती नहीं थी वो भी साथ मिलके काम करने लगे। सब ने एक दूसरे की हेल्प करनी शुरू कर दी। सारे काम आसानी से  होते गए। सब एक दूसरे की कदर करने लगे। माँ और दादी मिलके घर का सारा काम करे और पापा ऑनलाइन जॉब के साथ हम बच्चों को पढाई में भी हेल्प कर देते है । बच्चें जो स्विग्गी और झोमेटो का खाना बार बार खाते थे, वो अब घर का खाना खाने लगे है। एक दूसरें से सारी  प्रोब्लेम्स भी शेयर करने लगे है। मोबाइल और इंटरनेट यूज़ करनेवाले टीनएजर्स से भी पेरेंट्स ने बहोत कुछ सीखा। पेरेंट्स भी मान गए की बच्चें ज़िद्दी सही मगर है बहोत स्मार्ट। आज के ज़माने से ताल मिला ही लेंगे, वो अपने हिसाब से कुछ न कुछ तो कर ही लेंगे और बच्चों पे प्राउड फील करने लगे। कुछ टीनएजर्स से पेरेंट्स ने सीखा तो कुछ पेरेंट्स से टीनएजर्स ने सीखा। दादा दादी ने कुछ अपने ज़माने की बातें कही तो बच्चों ने इस ज़माने की इंटरनेट की बाते उनको कही। दोनों ने कुछ न कुछ तो ज़रूर सीखा। भाई और बहन जो किसी चीज़ के लिए रोज़ एक दूसरे के पीछे भागा करते थे, वो आज एक दूसरे को पढाई में हेल्प भी करते है, मूवी भी शेयर करते है और चीज़े भी। ऑनलाइन जॉब की बज़ह से पापा सबको वक़्त भी दे सकते  है। सब के बीच दूरियांँ कम होती जा रही है। 

लॉकडाउन ने इतना तो सीखा ही दीया की असली ख़ुशी बाहर नहीं घर में हमारे अपनों के साथ ही है। इसलिए घर पे रहे खुश रहे, सेफ रहे, अपना और अपनों का ख्याल रखे़।   

                                                                                  Bela... 

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