NATKHAT KANHA ( Part 1 )

 गोपी ने राधा से कहा, आज हम सबने कान्हा से पूछा, सबसे ज्यादा प्रेम तू किसे करे? तो कान्हा ने हम सबसे एक ही बात कही, सब से ज्यादा में तुमसे ही तो प्रेम करू, वो कैसा भला, तू बता। जब की हम सब जाने सबसे ज्यादा प्रेम कान्हा राधा तुमसे ही करे। तब कान्हा ने कहा की मेरी बातो पर यकिन ना हो तो मेरी आंखों में देखलो, जिसकी तस्वीर तुम्हें नज़र आए, में उसी से प्रेम करू। फिर हमसब ने बारी बारी कान्हा की आंखों में देखा तो हम सबको हमारी ही तस्वीर दिखी। इस लिए आज हम सब बहुत खुश हैं, और आज रात हमारा कान्हा के साथ रास भी है। उसी ने हम सब को रात को रास के लिए नदी के पास बुलाया है, बड़ा मजा़ आएगा आज तो देखना, कान्हा उसकी बंसरी और हम सब, और कोई नहीं। राधा रो पडी। और बोली, कह देना कान्हा से तुम सब, की अब हमारे पास माखन के लिए न आया करे। तूम सब ही उसे प्यारी हो तो तूम ही माखन खिला देना। और राधा मुह फेर के रूठ के वहाँ से चली गई, उसे क्या मालुम की कृष्णा की आंखों में गोपी थी, तो राधा कृष्ण से अलग थोड़ी है, क्योंकि कृष्णा ही राधा है और राधा ही कृष्ण है। 

राधा जब पहोंची अपने कान्हा के पास, पहले तो वो कुछ न बोली, सिर्फ देखती रही कान्हा की आंखों में। कान्हा सोचे, ये राधा आज क्यू मुझे ऐसे देख रही है, वो कुछ समज न पाया। राधा को तो कान्हा की आँखों में कुछ ना दिखा। वो समज गई की ये सब कान्हा की ही शैतानी है, उसने जादू से अपनी आंखों में सभी गोपियों  की अपनी अपनी तस्वीर दिखा दी होगी। छलिया कहिका। मन ही मन बोलकर मूडके चलने लगी। और वो भी रूठ गई। कान्हा उसके पीछे पीछे दौड़ा। कितनी आवाज़ लगाई: राधा रुको, राधा रुको, मगर अब राधा कहाँ रुकने वाली थी.. कान्हा ने बड़ी मिन्नते की राधा से तब जाके राधा रुकी.. कान्हा ने पुछा क्या हुआ ये तो बताओ, बिना बात किये क्यों भागी जा रही हो मुझसे? देखो में कितना थक गया हूँ, और मुझे भुख भी लगी है। 

राधा ने कान्हा का हाथ अपने सिर पर रखा और बोली, तो फिर खाओ मेरी कसम और, सच सच बताओ की तुम सबसे ज्यादा किससे प्रेम करते हो? देखो मेरी कसम  है तुम्हें, झूठ मत बोलना। वर्ना में तुमसे कभी बात नहीं करूंगी, और अपना चेहरा भी तुम्हें कभी नहीं दिखाऊँगी।

कान्हा समज गया और मन ही मन मुस्कुराया और बोला राधा में सिर्फ और सिर्फ तुम से ही प्रेम करता हूँ। मेरे रोम रोम में राधा तुम ही तो बसी हो। तुम ही बताओ ओर कौन होगा भला ?

राधा बोली गाँव की सारी गोपीयोंने मुझसे कहा की उन सबको तुमने ये बताया की तुम उन सबसे प्रेम करते हो, मुझसे नहीं। और तुम्हारी आँखों में उन सब ने अपनी अपनी तस्वीर भी देखी। वो भला कैसे?

आज जब मेंने तुम्हारी आँखों में देखा तो मेरी तस्वीर तो नहीं थी। झूठे कहीं के। जादू करते हो ना सब पे तुम। में सब समझती हूँ। अभी जाकर में सारी गोपीयों को बता देती हूंँ की तुमने सबसे झूठ बोला था, और सब पे जादू किया था। कान्हा मन ही मन राधा की नादानी पे मुस्कुराता रहा.. अब में राधा को कैसे समझाऊँ.. राधा कान्हा का हाथ छोड़, सबकुछ बताने गोपीयों के पास जाने लगी। 

कान्हा ने राधा को रोकते हुए कहा, अरे राधा रुको तो ज़रा, मेरी बात तो सुनो। मेंने कोई छल नहीं किया.. वो सारी गोपियांँ शायद तुम्हें चिढ़ाने के लिए तुमसे मजा़क कर रही होगी, ताकी तुम मेरे पास आओ और मुझसे रूठ  जाओ..समजो़ ना बात को राधा.. रुको ना.. इतना समझाने पर राधा थोड़ी देर रुकी और उसेभी ये बात सही लगी की ऐसा कैसा हो सकता है कि सबको कान्हा की आंखों में खुदकी ही तसवीर दीखी और अपने सर पर थपकी लगाती हुए अपनी ही नादानी पे मुस्कुराई।

अब इसमें सच क्या है और झूठ क्या है, ये तो कान्हा और उसका प्रेम ही जाने।

दोस्तो अब आप बताइए की गोपीयों ने राधा से झूठ बोला था या कान्हा ने राधा से झूठ बोला?? 

 और आगे जानने के लिए आपको Part 2 का इन्तजार करना पड़ेगा।


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