गलियाँ ( Part-1 )
आज भी हमें याद है, वो गलियाँ, जहाँ पहली बार दीदार हुआ था उनका, उनकी " वो झुकी हुई सी पलकें, वो रेशमी, मुलायम काले घने लहराते हुए बाल, वो पीला दुपट्टा, वो मद-भरी मुस्कान और भी मदहोश कीए जाती थी हम को, उनकी वो कातिल अदाएँ, क्यों ना हो जाए दीवाना कोई ?" लगता था, जैसे खुदा ने बड़ी फुरसत से बनाया था उनको।
वो गलियांँ जिसे हम छोड़ आऐ थे पीछे, उसे देखते ही वक्त थम सा जाता था, सांँसें एक पल के लिए रुक सी जाती थी। जहांँ सांँसें बसती थी हमारी, जहांँ जान रहती थी हमारी, ये वही तो वो गलियांँ है, जहांँ से गुज़र ने को हम कई बहाने बनाया करते थे। उनके एक बार दीदार करने को कई बार किसी न किसी बहाने से जाया करते थे। दोस्त भी हमारा मज़ाक उड़ाया करते थे, पर हमें परवाह कहा थी किसी की, जब वो आती थी झरोखे से बाहर तो चुपके से हम उनका दीदार किया करते थे, माली से वह जब फूल लिया करती थी तब जैसे सारी गलियांँ फूलों की खुशबू से महक जाती थी। कभी पास से गुजर जाए तो हमारी सांँसें पल दो पल के लिए थम सी जाती थी, उनका वो पिला दुपट्टा हमें यूँ एक बार छुके गया, ठंडी हवा का हो झोका जैसे, वक्त का था हमें होश कहा। उनकी एक झलक देखने सुबह के इंतज़ार में सारी-सारी रात जगा करते थे, सबसे पहले जाकर बैठ जाते उस चोराहें पे जहांँ से वो गुज़रने वाली होती थी।
" प्यार उनको भी था, प्यार हम को भी था, बस भूल हुई इतनी हमसे, कभी दिल की बात ला ना सके इन लबों पे। " ऐसा भी क्या था उनमें की उनको देखकर एक चुपी सी छा जाती थी इन लबों पे, बस उनको देखते ही रह जाते थे, उनका वो चुपके से हम को देखना और नजरें चुराना आज भी हमें याद है।
उसने डोली में से एक नज़र हमको देखा, उस पल हम को लगा जैसे उनकी निगाहें कर रही थी एक सवाल, " अगर प्यार करते थे हमसे इतना, तो ज़रा सी हिम्मत करके, हमको बताया होता सिर्फ एक बार, हमको भी था इंतजार इज़हार-ए-इश्क़ का, हम दौड के तेरी बाहों में चले आते, तोड देते सारे बंधन, अगर तूने एक बार बताया होता। प्यार हमको भी था प्यार तुमको भी था, फिर क्यों हो गए इतने फासले, क्यों तुम हमको बता ना सके ? वक्त को क्या यही मंजूर था ? "
" सपना टूटा, दिल टूट गया। " उनको किसी ओर का होता देखते रह गए, अब आहें भर ने से क्या फायदा जब वक्त को भी ये मंजूर नहीं था। दिल से अब तो सिर्फ यही दुआ निकलेगी, " तू जहाँ भी रहे, खुश रहे, आबाद रहे तू, तेरी झोली हंमेशा खुशीयों से भरी रहे, हमारा क्या है हम तो तेरी यादों के सहारे जी लेंगे, मगर इन गलियों से ना गुज़रेंगे कभी, जहाँ देखे थे इन आँखों ने सपने कई। "
दिन बदले, मौसम बदले पर हम ना बदले।
आज भी आंँखें बंद करु, तो वही मुस्कुराता चेहरा नज़र आता है। वो झुकी हुई पलकें, वो मदहोश कर देनेवाली निगाहें, वो हवा में लहराते रेशमी बाल और भी बहुत कुछ, बस इन्हीं यादों के सहारे जी रहे हैं हम। और आज भी दिल से आवाज़ यही निकले, तू जहाँ भी रहे खुश रहे, आबाद रहे।
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ReplyDeleteWav nice😅😅👍👍
ReplyDeleteSo wonderfully u describe all the emotions. I think these comes from inner self. God bless. L9be❤
ReplyDeleteExcellent
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