INTEZAAR
भरी महफ़िल में भी तनहा थे हम, मौज़ मस्ती, खाना पीना सब था, मगर आँखों को जैसे किसीका इंतज़ार था, दिल ये कहता बार बार न जाने कब ये इंतज़ार ख़तम होगा, और सामने से लो आ गई खुशियां, आखिर आ ही गई मेरी प्यारी सी " माँ " !!
INTEZAAR
भरी महफ़िल में भी तनहा थे हम, मौज़ मस्ती, खाना पीना सब था, मगर आँखों को जैसे किसीका इंतज़ार था, दिल ये कहता बार बार न जाने कब ये इंतज़ार ख़तम होगा, और सामने से लो आ गई खुशियां, आखिर आ ही गई मेरी प्यारी सी " माँ " !!
Wow
ReplyDeleteWah akdam sahi😘👌👍
ReplyDeleteWow
ReplyDeleteVery nice
DeleteSpb
ReplyDelete